The Bhootnii Movie Review By Komal Nahata(Filminformation)
"सिद्धांत सचदेव का निर्देशन उनकी स्क्रिप्ट की तरह ही ख़राब है। संगीत काफी मधुर है। गीत ठीक हैं। गणेश आचार्य के गाने का फिल्मांकन ठीक-ठाक है। अमर मोहिले का बैकग्राउंड संगीत अच्छा है। संतोष थुंडियिल की सिनेमैटोग्राफी अच्छी है। कंप्यूटर ग्राफ़िक्स और दृश्य प्रभाव घटिया हैं। रियल सतीश के एक्शन और स्टंट सीन साधारण हैं। दीपांकर दासगुप्ता और सुनयना गोपाल पराडकर की प्रोडक्शन डिजाइनिंग और गुरमेल सिंह का कला निर्देशन ऐसा ही है। बंटी नागी का संपादन ढीला है। कुल मिलाकर, भूतनी एक कमजोर फिल्म है और दर्शकों को डराने का एक बचकाना प्रयास है।"
The Bhootnii Movie Review By Rahul Yadav(Jansatta)
"‘द भूतनी’ के निर्देशन पर नजर डालें तो इसे सिद्धांत सचदेव ने किया है। वो फिल्म की कहानी को कहने में काफी हद तक सफल हुए हैं। हालांकि, कहानी ऐसा कुछ है नहीं, मगर जिस कहानी में कुछ ना हो उसे दर्शकों के बीच परोसना काफी मुश्किल होता है। सिद्धांत ने इस बात का बखूबी ख्याल रखा है। उन्होंने कॉमिक टाइमिंग, डरावना सीन कब कहां डालना सब बेहतरीन तरीके से स्क्रीन पर पेश किया है। कुल मिलाकर उनके डायरेक्शन ठीक कह सकते हैं।"
The Bhootnii Movie Review By Pankaj Shukla(Amar Ujala)
"ढीले ढाले संपादन के साथ बनी फिल्म ‘द भूतनी’ को देखने की एक ही वजह है और वह संजय दत्त भी यहां न अपने किरदार के साथ न्याय कर पाते हैं और न ही उनका किरदार ही दमदार तरीके से निखर पाया है। पलक तिवारी और सनी सिंह का काम औसत दर्जे का है। हां, मौनी रॉय ने भूतनी बनने में मेहनत बहुत की है लेकिन, उनको अभिनय की अभी बहुत सारी पाठशालाओं में हाजिरी लगाना जरूरी है।"
The Bhootnii Movie Review By Pallavi(Aaj Tak)
"डायरेक्टर सिद्धांत सचदेव की बनाई 'द भूतनी' का स्क्रीनप्ले काफी उथल-पुथल है. फिल्म में मोहब्बत शब्द का इस्तेमाल इस कदर किया गया है कि आपको एक मोमेंट पर इससे इरिटेशन होने लगती है. फिल्म की शुरुआत थोड़ी हिली हुई होती है, इसका पहला हाफ कमजोर है. लेकिन दूसरे हाफ में आपको हंसने के ढेरों पल मिलते हैं. भूतनी के साथ शांतनु और उसके दोस्तों की बातचीत और भागदौड़ सही में मजेदार है. साथ ही पिक्चर के कुछ डायलॉग और पंच सही में काफी फनी हैं."
The Bhootnii Movie Review By Dhaval Roy(NBT)
"'द भूतनी' में ठीक-ठाक कॉमेडी है। हॉरर का असर कम है। कहानी थोड़ी असंगत है। प्लॉट कई जगहों पर कमजोर है और क्लाइमेक्स ऐसा है कि आप पहले से अनुमान लगा सकते हैं। तो यह एक ऐसी फिल्म है, जिसे अगर आप मिस भी करते हैं, तो आपके पास खोने के लिए कुछ नहीं है।"
The Bhootnii Movie Review By Sonali Naik(TV9)
"फिल्म का निर्देशन सिद्धांत सचदेव का है और फिल्म की कहानी भी उन्हीं की है. स्क्रीनप्ले उन्होंने वंकुश अरोड़ा के साथ मिलकर लिखा है. ‘कॉमेडी सर्कस’ के लिए लिखने वाले वंकुश ने इस फिल्म के लिए भी कमाल के कॉमेडी डायलॉग लिखे हैं. लेकिन फर्स्ट हाफ में कहानी इतनी बोर कर देती है कि अच्छी कॉमेडी भी बेअसर लगने लगती है. कहानी का प्लॉट अच्छा है, लेकिन मुद्दे की बात पर आने तक निर्देशक ने शुरुआत के 20 मिनट बर्बाद किए हैं. फिल्म में संजय दत्त की एंट्री भी देर से होती है. उनकी एंट्री के बाद फिल्म थोड़ी दिलचस्प बन जाती है और फिर सेकंड हाफ में हम इसे एंजॉय भी करने लगते हैं. बुरी फिल्म को संजय दत्त एक देखने लायक फिल्म बना देते हैं."
The Bhootnii Movie Review By Jyotsna Rawat(Punjab Kesari)
"फिल्म का निर्देशन सिद्धांत सचदेव ने किया है, और यह कहना गलत नहीं होगा कि उन्होंने हॉरर-कॉमेडी को एक भावनात्मक गहराई दी है। उन्होंने डर को सिर्फ डराने तक सीमित नहीं रखा, बल्कि उसमें इंसानी संवेदनाएं जोड़ी हैं। सिनेमैटोग्राफर संतोष थुंडियिल ने कैमरे से एक ऐसा माहौल रचा है कि हर फ्रेम में एक रहस्य छिपा लगता है। हॉस्टल के गलियारे, धुंधली रौशनी और क्लासरूम की चुप्पी सब मिलकर माहौल बनाते हैं। VFX भी नपे-तुले हैं — न ज्यादा चमक-दमक, न ओवरडन डर। संवाद सरल और दिल से जुड़े हुए हैं, और एडिटिंग चुस्त है जिससे फिल्म कहीं भी धीमी नहीं लगती। पूरी टीम का काम यह साबित करता है कि "The Bhootnii" सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि एक अनुभव है — जिसमें डर है, हंसी है और दिल भी।"
The Bhootnii Movie Review By Amit Bhatia(ABP News)
"ये दिमाग को फ्रिज में रखकर देखने वाली फिल्म है. आप बीच बीच में हंसेंगे, एंटरटेन होंगे, ये कोई महान फिल्म नहीं है लेकिन खराब फिल्म भी नहीं है. कॉमिक पंच अच्छे हैं, मेरे साथ फिल्म देख रहे लोग काफी हंस रहे थे. इस फिल्म को ज्यादा प्रमोट नहीं किया गया, ना ज्यादा स्क्रीन मिली, उस हिसाब से फिल्म से उम्मीदें भी नहीं नहीं हैं लेकिन यही फायदा इस फिल्म को मिलता है. बिना उम्मीद के आप इसे देखते हैं और ये फिल्म ठीक ठाक लगती है, हालांकि सेकेंड हाफ काफी खिंचा हुआ है. थोड़ा छोटा हो सकता था तो ये और बेहतर लगती. सनी सिंह, निकुंज शर्मा और आसिफ खान की केमिस्ट्री बहुत बढ़िया है. संजय दत्त फिल्म में एक नई जान डालते हैं. कुल मिलाकर अच्छे टाइमपास के लिए फिल्म देखनी है तो बेझिझक देखिए."