Bhool Chuk Maaf Movie Review By Komal Nahata(Filminformation)
"करण शर्मा का निर्देशन अच्छा है लेकिन कमज़ोर स्क्रिप्ट उनके कथन के प्रभाव को कमज़ोर कर देती है। तनिष्क बागची का संगीत अच्छा है लेकिन गाने बहुत लोकप्रिय नहीं हैं। गीत अच्छे हैं। विजय ए गांगुली की कोरियोग्राफी अच्छी है। केतन सोधा का बैकग्राउंड म्यूज़िक काफ़ी अच्छा है लेकिन इसे और बेहतर होना चाहिए था। सुदीप चटर्जी की सिनेमैटोग्राफी बेहतरीन है। विक्रम दहिया के एक्शन और स्टंट सीन कार्यात्मक हैं। अमित रे और सुब्रत चक्रवर्ती की प्रोडक्शन डिज़ाइनिंग और दिलीप रोकड़े का आर्ट डायरेक्शन मानक के अनुसार है। मनीष मदन प्रधान का संपादन काफ़ी शार्प है।"
Bhool Chuk Maaf Movie Review By Jaya Dwivedi(India TV)
"फिल्म का सबसे खूबसूरत पहलू उसका साफ-सुथरा ह्यूमर और दिल से निकली गई बातें हैं। इसमें हल्की सी फैंटेसी भी है, जो बिल्कुल बनावटी नहीं लगती। फिल्म की कॉमेडी न ही दोहरे मतलब वाली है और न ही जबरदस्ती हंसाने वाली। बल्कि, कहानी के हालात और पंचलाइन इतने नैचुरल हैं कि हंसी खुद ही निकलती है। कहानी को सही दिशा में एग्जीक्यूट किया गया है और इसका श्रेय निर्देशक को जाता है। फिल्म में गाने भी सही और सटीक जगह आते हैं। सबसे खास बात ये है कि फिल्म उबाऊ नहीं लगती।"
Bhool Chuk Maaf Movie Review By Priti Kushwaha(Live Hindustan)
"निर्देशक करण शर्मा की कहानी को मेन मुद्दे पर पहुंचने में बहुत समय लगता है। फिल्म का पहला भाग काफी कमजोर नजर आ रहा है। कई जगहों पर डायलॉग काफी तीखे लग रहे हैं। राजकुमार की कॉमिक टाइमिंग से बमुश्किल ही उसे बचाया जा सकता है। मैडॉक (प्रोडक्शन हाउस) की पिछली कई फिल्मों जैसे मिमी, लुका छुपी, तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया में भी यही सेटअप दिखाया गया है- यहां तक कि स्टार्स को भी दोहराया गया है। और इससे भी बुरी बात यह है कि परिवार के सदस्यों के बीच पर्याप्त केमिस्ट्री नहीं है। मूवी में हंसी मजाक भी पूरी तरह से सेट नहीं बैठ रहे हैं। हालांकि, राजकुमार और वामिका के बीच की केमिस्ट्री आपको पसंद आएगी।"
Bhool Chuk Maaf Movie Review By Pallavi(Aaj Tak)
"डायरेक्टर करण शर्मा ने 'भूल चूक माफ' को काफी अच्छे से बनाया है. उन्होंने इस फिल्म को लिखा भी है और पिक्चर की कहानी काफी मजेदार है. फिल्म की ताकत इसके डायलॉग और किरदारों के बीच की जुगलबंदी है. वहीं इसकी सबसे बड़ी कमी इसके गाने हैं. देखकर लगता है कि हर दो सीन के बाद गाना आ रहा है, जिसकी जरूरत नहीं थी. इससे फिल्म का मजा खराब होता और लय टूटती है."
Bhool Chuk Maaf Movie Review By Ishika Jain(News24online)
"फिल्म ‘भूल चूक माफ’ को करण शर्मा ने लिखा और डायरेक्ट किया है। डायरेक्शन के मामले में करण ने अच्छा काम किया है। वहीं, राइटिंग के मामले में करण ने हर किरदार के लिए सीन रखने की कोशिश की है। हां, फिल्म थोड़ी क्रिस्प हो सकती थी। किसी-किसी जगह पर डायलॉग्स थोड़ा ज्यादा ही फोर्स्ड लगने लगे, जिसकी जरूरत थी नहीं। फिल्म की कहानी के हिसाब से बैकग्राउंड स्कोर और म्यूजिक अच्छा है, जिसका क्रेडिट केतन सोधा और तनिष्क बागची को जाता है।"
Bhool Chuk Maaf Movie Review By Sonali Naik(TV9)
"‘भूल चूक माफ’ देखने के बाद एक अच्छे विषय को बुरी तरह से पेश करने की भूल करने के लिए दर्शक निर्देशक करण शर्मा को कभी माफ नहीं कर पाएंगे. 121 मिनट की फिल्म में फिल्म में इतने किरदार और इतनी छोटी-छोटी कहानियां ठूस दी गई हैं कि हम कन्फ्यूज हो जाते हैं. उदहारण के तौर पर बात की जाए तो इस फिल्म के प्रेस शो में हुए इंटरवल में ही कई लोगों ने ये अंदाजा लगा लिया था कि आगे क्या होने वाला है, लेकिन डायरेक्टर ने फिर भी इंटरवल के आधे घंटे के बाद मुद्दे की बात करना शुरू किया. फिल्म का एक भी गाना याद नहीं रहता. राजकुमार राव और वामिका गब्बी के बीच की जीरो केमिस्ट्री इस फिल्म की ताबूत में आखिरी कील साबित होते हैं."
Bhool Chuk Maaf Movie Review By Amit Bhatia(ABP News)
"करन शर्मा ने फिल्म को लिखा और डायरेक्ट किया है. करन ने जो वादा किया था वो डिलीवर किया है, एक साफ सुथऱी फिल्म बनाई है. हालांकि स्क्रीनप्ले पर थोड़ा और काम होता, क्लाइमैक्स में थोड़ा और ट्विस्ट डाला जाता तो और मजा आता लेकिन कुल मिलाकर उनका काम अच्छा है."
Bhool Chuk Maaf Movie Review By Rahul Yadav(Jansatta)
"करण शर्मा ने फिल्म की कहानी को बेहतरीन ढंग से बुना है। फिल्म के संवाद सरल और सहज हैं। करण शर्मा ने अपनी कहानी को कम समय में ही अच्छे तरीके से कह दिया है। स्क्रीन पर कलाकारों को उनका स्पेस भी दिया। 121 मिनट की इस फिल्म में आपके मनोरंजन का खास ख्याल रखा गया है।"
Bhool Chuk Maaf Movie Review By Ashish Tiwari(Dainik Bhaskar)
"करण शर्मा ने एक सरल कहानी को दिलचस्प ट्विस्ट देने की कोशिश की है। लेकिन स्क्रीनप्ले थोड़ा फैला हुआ और धीमा महसूस होता है, खासकर इंटरवल से पहले। कुछ दृश्य तो फिल्म को बोरियत की ओर ले जाते हैं। इंटरवल के बाद फिल्म मजेदार मोड़ लेती है और कुछ सीन वाकई हंसी ला देते हैं। हालांकि अंत में सामाजिक संदेश देते-देते फिल्म थोड़ी प्रीची लगने लगती है।"